28 मार्च, 2025 दिन (शुक्रवार) को म्यांमार और थाईलैंड में एक भीषण भूकंप ने तबाही मचा दी। तबाही तशवीर इतनी खोफनायक थी की देखने वालो का दिल दहल गया | इस तबाही से बड़ी बड़ी इमारत ताश के पतों की तरह ढेर हो गयी ,
इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 7.7 मापी गई, भूकंप की तीव्रता इतनी तेज़ थी ,की इसके झटके आसपास के पांच देशों में महसूस किए गए। म्यांमार-थाईलैंड में यह भूकंप मात्र 8 सेकंड तक रहा , जिसके वजह से भरी नुक्सान हुआ ,इस प्राकृतिक आपदा में कई लोगो की मौत हो गयी | जबकि इस आपदा में 700 से अधिक लोगो के घायल हुए है |

भूकंप का केंद्र और प्रभावित क्षेत्र
इस तबाही भरे भूकंप का केंद्र म्यांमार के उत्तरी हिस्से में स्थित था, इस प्राकृतिक भूकंप के झटके इतने तेज़ थे ,की थाईलैंड, बांग्लादेश, लाओस और चीन तक महसूस किए गए। इस भूकंप की गहराई जमीन से लगभग 10 किलोमीटर थी, जिसकी वजह से इसका प्रभाव तबाही भरा और भी ज्यादा विनाशकारी रहा।
भूकंप से प्रभावित प्रमुख शहर
• म्यांमार: नैप्यीडॉ, मांडले, यंगून
• थाईलैंड: चियांग माई, बैंगकॉक
जान-माल का नुकसान
इस भूकंप में अब तक की रिपोर्ट्स के अनुसार:
• कई लोगों की मौत (सटीक आंकड़ा अभी जारी नहीं है )
• 700 से अधिक लोग घायल
• सड़कें और पुल टूटने से यातायात बाधित
• सैकड़ों इमारतें क्षतिग्रस्त
• विमान उड़ान पर रोक
राहत और बचाव कार्य जारी
म्यांमार और थाईलैंड के तबाही के बाद दोनों देशों की सरकारों ने राहत कार्य और तेज कर दिया हैं। सेना और एनडीआरएफ की टीमें मलबे में फंसे लोगों को बचाने में जुटी हैं। म्यांमार सरकार ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सहायता की अपील की है, क्योंकि उनके पास संसाधनों की कमी है।
भारत हर संभव मदद को तैयार है |
भारत ने “नेबरहुड फर्स्ट” पॉलिसी के तहत म्यांमार और थाईलैंड को हर राहत सामग्री भेजने का वादा किया है। भारत एनडीआरएफ की और से टीमें तैनात की जा रही हैं, और चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराई जा रही है।
भूकंप की वैज्ञानिक वजह
म्यांमार में यह भूकंप इंडो-ऑस्ट्रेलियन और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के टकराव की वजह से आया। क्यों की यह क्षेत्र “रिंग ऑफ फायर” के नजदीक है, जहां अक्सर भूकंप आते ही रहते हैं। इस Fault को SAGAING (सागाइंग) फॉल्ट कहते वैज्ञानिकों का कहना है कि इस तरह के भूकंप भविष्य में और भी आ सकते हैं, यह काफी चिंता का विषय है , इसलिए इस भूकंप से निपटने के लिए इमारतों को भूकंपरोधी बनाने पर जोर दिया जा रहा है।
भारत को ऐसे भूकंप से निपटने तैयार रहना होगा
म्यांमार और थाईलैंड में आये तबाही भरे भूकंप देख कर लोगो की रूह काँप उठी , क्या इस मंजर को देखते हुए भारत को एक सबक मिली |वर्ष 1950 में असम में 8. 6 की तीव्रता से भूकंप आया था , जिसमे लगभग 5000 लोग मारे गए , न जाने कितने लोग घायल गए | इस म्यांमार और थाईलैंड में आये तबाही भरे भूकंप से भारत को सीख चाहिए | की अगर घनी आबादी वाले शहर जैसे चेन्नई, मुंबई, दिल्ली , और बंगलोर जैसे शहरो में भूकंप आते है तो हम इस आपदा निपटने के लिए तैयार रहे | हमे इन शहरो को इस तरह से विकसित करना चाहिए की यह भूकंप आपदा को सह सके |
म्यांमार की राजधानी में इसभूकंप से अस्प्तालो को काफी नुक्सान
म्यांमार की मीडिया के अनुसार शुक्रवार को आए शक्तिशाली भूकंप से इमारतों के साथ- साथ अस्प्ताल भी क्षतिग्रस्त हुई है , राहत और बचाव के कार्य तेज़ हुए है यह अस्प्ताल लगभग 1000 बिस्तरों वाला बतया जा है |
थाईलैंड में भारतीय दूतावास ने इमरजेंसी नंबर जारी किये
बैंकॉक में भारतीय दूतावास ने रह रहे भारतीय नागरिको को हर सम्भव मदद करने भरोसा दिया है थाईलैंड में इमारत गिरने से कई लोगो के मारे जाने की खबर आ रही है , इसलिए भारतीय दूतावास इस पर अपनी बारीक़ नज़र बनाये हुए है
- भूकंप से बचाव और उपाय
1. भूकंप आने पर खुले मैदान की और जाएं।
2. भूकंपरोधी इमारतें बनाएं।
3. फर्नीचर (बेड )के नीचे छिपकर सिर बचाएं।
4. आपातकालीन किट तैयार रखें।
निष्कर्ष
म्यांमार और थाईलैंड में आए इस तबाही ही भरे इस भूकंप ने एक बार फिर प्रकृति के सामने इंसान की कमजोरी दिखा दी है। की अगर हम प्रकृति से खेलवाड़ करेंगे तो हमे भविष्य में आपदा का सामना करना पद सकता है | हमे अंतरराष्ट्रीय सहयोग और बेहतर तैयारी से ही ऐसी आपदाओं से निपटा जा सकता है। हमें प्रभावित लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए और इस भूकंप सुरक्षा के नियमों का पालन करना चाहिए।
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